हैदरगढ़,बाराबंकी: निष्कापुर छुलिहा मे चल रहे रहे सत्संग समारोह के चतुर्थ दिवस के मानस सम्मेलन मे नैमिषारण्य से पधारे श्रीमंत स्वामी वीरेंद्रानंद पुरी जी महाराज ने ज्यों की त्यों धरि दीन्ही चदरिया,झीनी रे भीनी भजन के माध्यम से संदेश देते हुए कहा कि भगवान की कृपा से मिले इस मानव शरीर से केवल और केवल भजन ही करते रहना है।अन्य कार्यों के लिए यह शरीर नहीं मिला फिर भी हम आजीवन अन्य ही कार्य करते रहे।भजन का समय ही नहीं मिला।दसों इंद्रियों में आंखों के माध्यम से अधिक गंदगी शरीर में प्रवेश करती है।मंदिर जाने की प्रेरणा देते हुए आगे कहा कि वहां जाने पर आंखे केवल भगवान गोविंद का ही दर्शन करेंगी।
रावण ने जीवन भर कोई पाप ही नहीं किया।केवल एक बार नेत्र दोष के कारण ही जानकी मैया का हरण कर लिया।परिणाम सबके सामने है।
मंदोदरी,रावण से भी अधिक विदुषी थी।उसने रावण को भी समझाते हुए कहा-
राम विमुख अस हाल तुम्हारा।रहा न कोऊ कुल रोवन हारा।।
अगर रावण की आंखों में विकार न आता तो न सोने की लंका जलती, न कुल का विनाश होता।
बाली और इन्द्र के पुत्र जयंत का भी यही हाल था।किसी का वैभव देखकर,किसी पर नारी को देखकर,किसी का पद देखकर मनुष्य की आँखें बार बार बिगड़ी।
अभी चेत जाने का समय है।इन आंखों से गोविंद के दर्शन करो।
साधु बिल्वमंगल का उदाहरण देते हुए महाराज श्री ने कहा भिक्षा की जगह शिक्षा मिल जाने पर साधु ने अपनी अंतरात्मा से पूंछा कि क्या मेरी आंख गड़बड़ है,जवाब मिलता है हां,अपने इष्ट से भी पूंछा कि क्या मेरी आंख गड़बड़ है,जवाब मिलता है हां।
जो आंखें हमें गलत रास्ते पर ले जाने को उद्यत हो,उन आंखों को शीघ्रता से गोविंद जी से इलाज करवाओ।ठाकुर हमरे रमण बिहारी,हम हैं रमण विहारी भजन के माध्यम से भगवान से जुड़ने का प्रयास किया।
कथा में अमरजीत सह विभाग प्रचारक,जिला कार्यवाह बाराबंकी सुधीर तिवारी,पूर्व एम एल सी हर गोविंद सिंह,अजय सिंह जय माता दी,पूर्व ब्लॉक प्रमुख दिनेश सिंह,प्रधान संघ अध्यक्ष प्रदीप सिंह,दिवाकर विक्रम सिंह,हरि शंकर तिवारी,संतोष सिंह,मनोज सिंह,बृजेश रावत,रवि सिंह,दीपांशु निगम,देवेंद्र सिंह,मुकेश सिंह,माताफेर तिवारी,सर्वेश दीक्षित,शिवदास तिवारी,विनय पाण्डेय,शैलेन्द्र द्विवेदी,दिनेश सिंह सहित अन्यान्य भक्तगण उपस्थित रहे।

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