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माधौगढ़, जालौन: विकासखंड माधौगढ़ की ग्राम पंचायत मिझौना में चल रहे मनरेगा कार्यों में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र पंचायत द्वारा कराए जा रहे मनरेगा कार्यों में ठेकेदारी और गुणवत्ता की घोर लापरवाही की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस परियोजना में दावा किया जा रहा है कि दो महत्वपूर्ण काम हो रहे हैं, लेकिन स्थानीय रिपोर्टों और हालात इसके विपरीत स्थिति को दर्शाते हैं।

मनरेगा कार्यों का विवरण

ग्राम पंचायत मिझौना में दो प्रमुख कामों का दावा किया जा रहा है:
1. अवध कुंवर के खेत से मनोज के खेत तक चकबांध निर्माण: इस कार्य को चकबांध निर्माण का बताया जा रहा है, लेकिन लगातार हो रही बारिश के बावजूद इस काम को कैसे और किस स्थिति में पूरा किया जा रहा है, यह एक बड़ा सवाल है।
2. अशोक के खेत से संतोष के खेत तक चकबांध निर्माण: यह भी चकबांध निर्माण का कार्य बताया जा रहा है, लेकिन इसके लिए भी किसी ठोस प्रगति की जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ग्रामीणों की शिकायतें और फर्जीवाड़े का आरोप

ग्राम पंचायत मिझौना में कुल 159 श्रमिकों को काम पर लगाया गया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि वास्तविकता में कहीं भी काम नहीं हो रहा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि मनरेगा कार्य के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है, और अधिकारी इस पूरे मामले से आंखें मूंदे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि बारिश के मौसम में इन कामों का होना असंभव है, फिर भी काम की प्रगति के बारे में कोई ठोस जानकारी या गुणवत्ता की गारंटी नहीं है।

विकासखंड के अधिकारियों की लापरवाही

स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कई महीनों से ग्राम पंचायत मिझौना में काम की स्थिति को लेकर शिकायतें की जा रही हैं, लेकिन विकासखंड माधौगढ़ के अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि फर्जी मनरेगा कार्यों की जांच और निगरानी में गंभीर कमी है। अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण ही इस तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो कि ग्रामीणों के विकास और उनके अधिकारों के प्रति एक बड़ी चुनौती है।

निष्कर्ष और आगे की योजना

यह स्थिति दर्शाती है कि मनरेगा के तहत चल रहे कार्यों की जांच और निगरानी की आवश्यकता है। यदि फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की ऐसी घटनाओं को समय पर नहीं रोका गया, तो इससे न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठेगा बल्कि गरीब और जरूरतमंद लोगों को मिलने वाले लाभ भी प्रभावित होंगे।

सरकारी अधिकारियों को चाहिए कि वे इस मामले की पूरी जांच करें और ग्राम पंचायत मिझौना में चल रहे मनरेगा कार्यों की सच्चाई को उजागर करें। इसके लिए एक स्वतंत्र जांच समिति बनाई जानी चाहिए जो मनरेगा कार्यों की वास्तविक स्थिति की जांच कर सके और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सके।

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